शाइस्ता है मोहब्बत, हर ज़ुल्म पे मुस्कुरा देती है…शाइस्ता है मोहब्बत, हर ज़ुल्म पे मुस्कुरा देती है नासमझ है तू, ये समझ के माफ़ कर देती है कितने पहाड़ कितने मील ज़ाया किए तूने…कितने पहाड़ कितने मील ज़ाया किए तूने ख़ुदा तो ख़ुद ही में है, ये पहचाना नहीं तूने सजदे में किसके झुकता हैContinue reading “नूर ए ख़ुदा”
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विश्व तीर्थ
क्यूँ कर जाऊँ मैं काशी द्वारका हरिद्वार , क्यूँ करूँ तीर्थ मैं जीवन में बस एक बार क्यूँ कर जाऊँ मैं काशी द्वारका हरिद्वार , क्यूँ करूँ तीर्थ मैं जीवन में बस एक बार विश्वास भक्ति करुणा की नित्य है पुकार; विश्वास भक्ति करुणा की नित्य है पुकार, नित्य ही कैसे तीर्थ हो आऊं औरContinue reading “विश्व तीर्थ”