कुछ यूँ तो नहीं बुननी चाही थी ज़िंदगी ख़्वाबों के रेशम पर हक़ीक़त के पैवंद खींचती, मजबूर ज़िंदगी गुत्थियों से जूझती, पल पल उलझती, उधड़ती ज़िंदगी; जवाबों से डरती, सकपकायी, हैरान ज़िंदगी कौन खींच रहा है ये डोर; लेते गए क्यूँ ग़लत मोड़ किसपे खीजें ये समझ नहीं आता; शायद जानते हैं, पर हिम्मत नहींContinue reading “ज़िन्दगी”
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मोहब्बत
जन्नत देखूँगा ये सोच के घर से निकला था; नयी मोहब्बत ढूँढूँगा ये सोच के घर से निकला था जन्नत देखूँगा ये सोच के घर से निकला था; नयी मोहब्बत ढूँढूँगा ये सोच के घर से निकला था तुझे भूल जाऊँगा; बेवफ़ा हो जाऊँगा पर ये तेरी ही मीठी साज़िश है; हाँ, ये तेरी हीContinue reading “मोहब्बत”
एक आग
एक आग है भभकती धधकती, एक आग है भभकती धधकती ज़हन ज़ुबान ज़हानत को निगलती बेरंग सी अनदेखी सी, ज़हन ज़ुबान ज़हानत को निगलती बेरंग सी अनदेखी सी नफ़रत के रेगिस्तान में सरफ़रोशी का सरब दिखाती, केसरिया और हरे को सफेदा अमन भुलवाती बुझाने वालों को ग़द्दार बताती एक आग है भभकती धधकती, एक आगContinue reading “एक आग”
दफ़्न इंसानियत
कौन हो तुम, क्यूँ बिखरे हुए हो सड़कों पे तुम, कौन हो तुम, क्यूँ बिखरे हुए हो सड़कों पे तुम क्यूँ आज के क़िस्सों का हिस्सा हो, क्यूँ शाम मेरी ज़ाया कर रहे हो जोड़ी होंगी ईंटें मेरे आशियाने की कभी, सींची होगी वो ख़ुशबू बिखेरती बग़ीचि तभी ढोया होगा कभी मेरा बोझ…अपने भुला के,Continue reading “दफ़्न इंसानियत”
वो कोहरा
तेरे उस सफ़ेद कोहरे ने ही तो निखारी थी मेरी मोहब्बत वो गलियाँ याद हैं; तेरी सर्द सर्दी में गुल्फ़ाम होना भी याद है तेरे उस सफ़ेद कोहरे ने ही तो निखारी थी मेरी मोहब्बत वो गलियाँ याद हैं; तेरी सर्द सर्दी में गुल्फ़ाम होना भी याद है और याद है मेरी बेवफ़ाई; वो गलियाँContinue reading “वो कोहरा”
यादगार पल
सुन के तुम्हें आज एक बोझिल अहसास हुआ, सुन के तुम्हें आज एक बोझिल अहसास हुआ, एक उम्र के ज़ाया होने का मलाल हुआ सुन के तुम्हें आज एक बोझिल अहसास हुआ, एक उम्र के ज़ाया होने का मलाल हुआ पहचान तो अपनी बरसों की है, पहचाना तुम्हें मैंने आज ही है पल कोई यादContinue reading “यादगार पल”
तुम्हारी उड़ान
क्यूँ टोकता हूँ तुम्हें, ख़ुद मन की करता हूँ…क्यूँ रोकता हूँ तुम्हें छोटी सी ही बात पर क्यूँ परेशान करता हूँ तुम्हें, प्यार करता हूँ तो जवाब क्यूँ माँगता हूँ, और फिर नज़रें क्यूँ नहीं मिला पाता हूँ सुनोगी मेरी हमेशा ऐसा तो नहीं सोचता, करोगी मेरी कही ये भी नहीं जँचता, फिर क्यूँ ऐसाContinue reading “तुम्हारी उड़ान”
ठहरो कुछ देर
थम गयी है ख़त्म ना होने वाली दौड़, सोचा ना था कि ऐसा भी आ सकता है एक मोड़ सर्व शक्तिमान को एक सूक्ष्म ने दिया है तोड़, क्या प्रकृति सिखा रही है अब रहना है दिलों को जोड़? शांत है गगन और चुप है धरा…नज़रें घूमाईं तो देखा मुन्नी के चित्रों में है जादूContinue reading “ठहरो कुछ देर”
विश्व तीर्थ
क्यूँ कर जाऊँ मैं काशी द्वारका हरिद्वार , क्यूँ करूँ तीर्थ मैं जीवन में बस एक बार क्यूँ कर जाऊँ मैं काशी द्वारका हरिद्वार , क्यूँ करूँ तीर्थ मैं जीवन में बस एक बार विश्वास भक्ति करुणा की नित्य है पुकार; विश्वास भक्ति करुणा की नित्य है पुकार, नित्य ही कैसे तीर्थ हो आऊं औरContinue reading “विश्व तीर्थ”
दिल का पुल
एक खाई है जो हम दोनों ने आज बनाई है, एक खाई है जो हम दोनों ने आज बनाई है; नफ़रत की कुदाल से दूरी और बढ़ाई है एक खाई है जो हम दोनों ने आज बनाई है, नफ़रत की कुदाल से दूरी और बढ़ाई है ग़िले यूँ तो बहुत हैं, हर गहरे ख़्वाब केContinue reading “दिल का पुल”