एक पैग़ाम भेजा है तुम्हें आज , देखो एक तारा टूटा है एक पैग़ाम भेजा है तुम्हें आज, देखो एक तारा टूटा है दर्द जो तुम्हें ही मालूम था बस, अब हमने भी जी लिया है तारे जो सजाये थे तुमने…बिखरे जब बेवफ़ाई की हमने तारे जो सजाये थे तुमने…बिखरे जब बेवफ़ाई की हमने वो छिन गये हमसे भी आज, जो तारे सजाये भूल के तुम्हें हमने तारों ने की खूब वफ़ा… तारों ने की खूब वफ़ा, वाक़िफ़ थे कि हमने की थी तुमसे जफ़ा गुम हो गए आज और गिरे तुम्हारे पास… कह गये मत रो, छीन लीं हैं ख़ुशियाँ उसकी जिसने नहीं दिया तुम्हारा साथ कह गए मत रो, छीन लीं हैं ख़ुशियाँ उसकी जिसने नहीं दिया तुम्हारा साथ एक पैग़ाम भेजा है तुम्हें आज, देखो एक तारा टूटा है दर्द जो तुम्हें ही मालूम था बस, अब हमने भी जी लिया है
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जीवन स्तोत्र
नन्ही किरणों का रथ दिख रहा है, संसार फिर जीवित हो रहा है पक्षियों के कलरव ने मीठे भोर राग घोले हैं, पवन संगीतमय कर रहे हैं सूर्य अब करवट ले रहा है, फिर एक नयी सृष्टि की जैसे शुरुआत कर रहा है अंधेरे ने छोड़ा अब रण है, आशाओं का बसेरा कण कण हैContinue reading “जीवन स्तोत्र”
हर ज़ख़्म
हर ज़ख़्म है नज़र मेरे गुनाह को, बहे तुम्हारे हर आँसू को हर ज़ख़्म है नज़र मेरे गुनाह को, बहे तुम्हारे हर आँसू को चीखता है दिल, रोते हैं अरमान, सिसकती है ये जान चुप करा लेते हैं, ये सोच के की तुमने भी तो सहा है ये अंजाम टूटे रिश्तों में अब भी धड़कContinue reading “हर ज़ख़्म”
पार्थ हो तुम
ख़्वाहिशों से डरो नहीं, पर्वतों से भी तुम झुको नहीं, ख़्वाहिशों से डरो नहीं, पर्वतों से भी तुम झुको नहीं सपनों के क़द को नापो नहीं, खुद को किसी से काम जानो नहीं रास्ता कठिन है तो क्या हुआ, रास्ता कठिन है तो क्या हुआ, सफ़र से तुम हार मानो नहीं बुलंद करो इरादे तोड़ोContinue reading “पार्थ हो तुम”
जज़्बातों की पहचान
की अपने पहचानें तुम्हें, ये ज़रूरी नहीं, गूँगे ज़ख्मों को सुन पाएँ, ये ज़रूरी नहीं; की अपने पहचानें तुम्हें, ये ज़रूरी नहीं, गूँगे ज़ख्मों को सुन पाएँ, ये ज़रूरी नहीं सुकून ए ज़िंदगी की शर्तें हैं बहुत…सब पूरी हो जाएँ ये ज़रूरी नहीं आँधियों को उम्मीद थी थमने की…आँधियों को उम्मीद थी थमने की हर उम्मीद मुकम्मल हो जाए ये ज़रूरी नहीं थको मत कि उजाड़ने हैं तुम्हें कई ख़्वाब अभी…थको मत कि उजाड़ने हैं तुम्हें कई ख़्वाब अभी इस वीराने पे कोई रोए, ये ज़रूरी नहीं अरमाँ तनहा हैं साहिल पर, वक़्त का दरिया बहे जाता है; अरमाँ तनहा हैं साहिल पर, वक़्त का दरिया बहे जाता है, तैरना हर कश्ती की तक़दीर नहीं; डूबते सपनों की शिद्दत कुछ कम थी, ये ज़रूरी नहीं दुनिया के बाज़ार दरखिशां हैं बहुत, सब बिकता है यहाँ; दुनिया के बाज़ार दरखिशां हैं बहुत, सब बिकता है यहाँ, आसामियों का ताँता है, देखिए जहां तहाँ जज़्बातों की भी दुकान लगी है अंधेरे कोने में, जज़्बातों की भी दुकान लगी है अंधेरे कोने में, कोई ख़रीदार दिखता नहीं वहाँ क्या मोल है यादों के इन पुलिंदों का, क्या मोल है यादों के इन पुलिंदों का जो पहचान पाए, वो ख़रीदार ही कहाँ कौड़ियों में ले जाएगा कोई इनको, कौड़ियों में ले जाएगा कोई इनको किसी दीवाने का फ़साना समझ के खिलखिलाएगा फिर वो हर जज़्बात की क़ीमत अदा हो ये ज़रूरी नहीं, की अपने पहचानें तुम्हें, ये ज़रूरी नहीं गूँगे ज़ख्मों को सुन पाएँ, ये ज़रूरी नहीं
नूर ए ख़ुदा
शाइस्ता है मोहब्बत, हर ज़ुल्म पे मुस्कुरा देती है…शाइस्ता है मोहब्बत, हर ज़ुल्म पे मुस्कुरा देती है नासमझ है तू, ये समझ के माफ़ कर देती है कितने पहाड़ कितने मील ज़ाया किए तूने…कितने पहाड़ कितने मील ज़ाया किए तूने ख़ुदा तो ख़ुद ही में है, ये पहचाना नहीं तूने सजदे में किसके झुकता हैContinue reading “नूर ए ख़ुदा”
मोहब्बत
जन्नत देखूँगा ये सोच के घर से निकला था; नयी मोहब्बत ढूँढूँगा ये सोच के घर से निकला था जन्नत देखूँगा ये सोच के घर से निकला था; नयी मोहब्बत ढूँढूँगा ये सोच के घर से निकला था तुझे भूल जाऊँगा; बेवफ़ा हो जाऊँगा पर ये तेरी ही मीठी साज़िश है; हाँ, ये तेरी हीContinue reading “मोहब्बत”
दफ़्न इंसानियत
कौन हो तुम, क्यूँ बिखरे हुए हो सड़कों पे तुम, कौन हो तुम, क्यूँ बिखरे हुए हो सड़कों पे तुम क्यूँ आज के क़िस्सों का हिस्सा हो, क्यूँ शाम मेरी ज़ाया कर रहे हो जोड़ी होंगी ईंटें मेरे आशियाने की कभी, सींची होगी वो ख़ुशबू बिखेरती बग़ीचि तभी ढोया होगा कभी मेरा बोझ…अपने भुला के,Continue reading “दफ़्न इंसानियत”
वो कोहरा
तेरे उस सफ़ेद कोहरे ने ही तो निखारी थी मेरी मोहब्बत वो गलियाँ याद हैं; तेरी सर्द सर्दी में गुल्फ़ाम होना भी याद है तेरे उस सफ़ेद कोहरे ने ही तो निखारी थी मेरी मोहब्बत वो गलियाँ याद हैं; तेरी सर्द सर्दी में गुल्फ़ाम होना भी याद है और याद है मेरी बेवफ़ाई; वो गलियाँContinue reading “वो कोहरा”
यादगार पल
सुन के तुम्हें आज एक बोझिल अहसास हुआ, सुन के तुम्हें आज एक बोझिल अहसास हुआ, एक उम्र के ज़ाया होने का मलाल हुआ सुन के तुम्हें आज एक बोझिल अहसास हुआ, एक उम्र के ज़ाया होने का मलाल हुआ पहचान तो अपनी बरसों की है, पहचाना तुम्हें मैंने आज ही है पल कोई यादContinue reading “यादगार पल”