हर ज़ख़्म है नज़र मेरे गुनाह को, बहे तुम्हारे हर आँसू को हर ज़ख़्म है नज़र मेरे गुनाह को, बहे तुम्हारे हर आँसू को चीखता है दिल, रोते हैं अरमान, सिसकती है ये जान चुप करा लेते हैं, ये सोच के की तुमने भी तो सहा है ये अंजाम टूटे रिश्तों में अब भी धड़कContinue reading “हर ज़ख़्म”
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नूर ए ख़ुदा
शाइस्ता है मोहब्बत, हर ज़ुल्म पे मुस्कुरा देती है…शाइस्ता है मोहब्बत, हर ज़ुल्म पे मुस्कुरा देती है नासमझ है तू, ये समझ के माफ़ कर देती है कितने पहाड़ कितने मील ज़ाया किए तूने…कितने पहाड़ कितने मील ज़ाया किए तूने ख़ुदा तो ख़ुद ही में है, ये पहचाना नहीं तूने सजदे में किसके झुकता हैContinue reading “नूर ए ख़ुदा”
तुम्हारी उड़ान
क्यूँ टोकता हूँ तुम्हें, ख़ुद मन की करता हूँ…क्यूँ रोकता हूँ तुम्हें छोटी सी ही बात पर क्यूँ परेशान करता हूँ तुम्हें, प्यार करता हूँ तो जवाब क्यूँ माँगता हूँ, और फिर नज़रें क्यूँ नहीं मिला पाता हूँ सुनोगी मेरी हमेशा ऐसा तो नहीं सोचता, करोगी मेरी कही ये भी नहीं जँचता, फिर क्यूँ ऐसाContinue reading “तुम्हारी उड़ान”