क्यूँ कर जाऊँ मैं काशी द्वारका हरिद्वार , क्यूँ करूँ तीर्थ मैं जीवन में बस एक बार क्यूँ कर जाऊँ मैं काशी द्वारका हरिद्वार , क्यूँ करूँ तीर्थ मैं जीवन में बस एक बार विश्वास भक्ति करुणा की नित्य है पुकार; विश्वास भक्ति करुणा की नित्य है पुकार, नित्य ही कैसे तीर्थ हो आऊं औरContinue reading “विश्व तीर्थ”
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मेघ कान्हा
मेघ धरा लिप्त हैं आज मिलन ऋतु की वर्षा में, झूम रहीं हैं वृक्ष गोपियाँ कान्हा के प्रेम की बरखा में मेघ धरा लिप्त हैं आज मिलन ऋतु की वर्षा में,झूम रही हैं वृक्ष गोपियाँ कान्हा के प्रेम की बरखा में तपती विरह का अंत है आज, हर रूठी गोपी कान्हा में लिप्त है आज,Continue reading “मेघ कान्हा”
अनगिनत तारों का क़स्बा
क़स्बा है एक, दो बसों के सफ़र दूर, पहुँचते ही जहां मैं जाया करता था बेहद रूठ ना पहाड़, ना समुंदर, ना जंगल…बीती हैं बचपन की छुट्टियाँ करते मच्छरों से दंगल धूल, गोबर और कूड़ा…बचते बचाते चलो नहीं तो सन जाओगे पूरा बल्ब और पंखों की सदा थी गर्मियों की छुट्टी…कभी क़भार आ के बिजलीContinue reading “अनगिनत तारों का क़स्बा”