थम गयी है ख़त्म ना होने वाली दौड़, सोचा ना था कि ऐसा भी आ सकता है एक मोड़ सर्व शक्तिमान को एक सूक्ष्म ने दिया है तोड़, क्या प्रकृति सिखा रही है अब रहना है दिलों को जोड़? शांत है गगन और चुप है धरा…नज़रें घूमाईं तो देखा मुन्नी के चित्रों में है जादूContinue reading “ठहरो कुछ देर”