
नन्ही किरणों का रथ दिख रहा है, संसार फिर जीवित हो रहा है
पक्षियों के कलरव ने मीठे भोर राग घोले हैं, पवन संगीतमय कर रहे हैं
सूर्य अब करवट ले रहा है, फिर एक नयी सृष्टि की जैसे शुरुआत कर रहा है
अंधेरे ने छोड़ा अब रण है, आशाओं का बसेरा कण कण है
जीवन प्रेरणा फिर सबल है, नन्ही किरणें अब हो रही प्रबल हैं
एक पल को भानु ने छुप के देखा है, अगले ही पल विश्व विजय किया है
उठ मानव, तेरा पथ उस दिव्य ने प्रज्वलित किया है, दिग्विजय होने का आशीर्वाद दिया है
शत नमस्कार जीवन स्तोत्र को, इस संसार के जीवन केंद्र को
शत नमस्कार जीवन प्रकाश को, उम्मीदों के नए आकाश को
शत नमस्कार एक नयी शुरुआत के रचेयता को