
ख़्वाहिशों से डरो नहीं, पर्वतों से भी तुम झुको नहीं,
ख़्वाहिशों से डरो नहीं, पर्वतों से भी तुम झुको नहीं
सपनों के क़द को नापो नहीं, खुद को किसी से काम जानो नहीं
रास्ता कठिन है तो क्या हुआ, रास्ता कठिन है तो क्या हुआ, सफ़र से तुम हार मानो नहीं
बुलंद करो इरादे तोड़ो शंका के धागे, उड़ाओ उमंग की पतंग जो निकले आसमान के भी आगे
लिखो एक अनोखी कहानी जिसका ना हो कोई सानी, अचरज करें लोग कि कैसे बढ़े तुम करके अपनी मनमानी
रण है ये और पार्थ हो तुम, साधो लक्ष्य और संधान करो तुम, व्यूह रचना जटिल है तो क्या, बस निरंतर कर्म करो तुम
हैं कृष्ण तुम्हारे भी सारथी, शंख नाद अब करो तुम
बस बढ़े चलो अब तुम, हर समर को जीतो तुम, हर कठिनता को ध्वस्त करो तुम
पार्थ हो तुम और ये है तुम्हारा कुरुक्षेत्र, ना झपको अब नेत्र, दिखाओ जग को हो तुम सर्वश्रेष्ठ
दिखाओ जग को हो तुम सर्वश्रेष्ठ
बहुत ही अच्छी पोस्ट
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बहुत शुक्रिया
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Quite motivational…feel inspired by your poetry Gaurav…keep up the good work!
Hare Krishna!
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