
क्यूँ टोकता हूँ तुम्हें, ख़ुद मन की करता हूँ…क्यूँ रोकता हूँ तुम्हें
छोटी सी ही बात पर क्यूँ परेशान करता हूँ तुम्हें, प्यार करता हूँ तो जवाब क्यूँ माँगता हूँ, और फिर नज़रें क्यूँ नहीं मिला पाता हूँ
सुनोगी मेरी हमेशा ऐसा तो नहीं सोचता, करोगी मेरी कही ये भी नहीं जँचता, फिर क्यूँ ऐसा इंसान बन जाता हूँ मैं, तुमसे पहचाना भी नहीं जाता मैं
सपने तुम्हारे भी हैं ये क्यूँ भूल जाता हूँ, आशाएँ तुम्हारी मुझसे भी हैं वो वादे क्यूँ नहीं निभाता हूँ
परवरिश है ये या सदियों की सीख़, की रखूँ तुम्हें थोड़ा सा खींच, परवरिश है ये या सदियों की सीख़, की रखूँ तुम्हें थोड़ा सा खींच
माँ को भी देखा था पिसते इस पाटे के बीच, अहल्या, शकुंतला, सीता में भी शायद बोए गए थे इस सोच के बीज
संगिनी, जीवन तरिंगनि हो तुम ये समझता हूँ, मेरे अरमान तुमसे, तुम्हारे ख़्वाब मुझसे ये अहसास भी रखता हूँ
तोड़ रहा हूँ सदियों के भ्रम…तुम्हें दबाने का ये क्रम
प्यार तुमसे करता हूँ, तुम्हें भी उड़ते देखना चाहता हूँ,
करी है नयी शुरुआत, फिर साथ तुम्हारा चाहता हूँ
Waah I am searching lots of hindi poetry this was amazing
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Thank you!
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Heart touching
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But he soch bahut kam logo me aa pati h aur aa but gai toh bahut kam 0.0000000001% hi follow kr pate h isse apni life me…🤔🤔😑
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It’s heart touching and speechless and incredible creativity…….. after reading this, I feel peace in my mind and heart😍
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Hey Gaurav…. you have been nominated for Liebster Award.
https://ashree2412blogspot.wordpress.com//wp.me/pcbSJf-1s
Hope for your answer soon 🤞😊
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Hello. I cannot open the link you have shared here.
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Go to the link and click on menu and then go on home page ….. that’s it.👍
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Are you opened It????
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nicely written
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Thank you!
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जवाब नहीं
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बहुत शुक्रिया
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