जज़्बातों की पहचान

जज़्बातों की पहचान

की अपने पहचानें तुम्हें, ये ज़रूरी नहीं, गूँगे ज़ख्मों को सुन पाएँ, ये ज़रूरी नहीं; की अपने पहचानें तुम्हें, ये ज़रूरी नहीं, गूँगे ज़ख्मों को सुन पाएँ, ये ज़रूरी नहीं

सुकून ए ज़िंदगी की शर्तें हैं बहुत…सब पूरी हो जाएँ ये ज़रूरी नहीं

आँधियों को उम्मीद थी थमने की…आँधियों को उम्मीद थी थमने की 

हर उम्मीद मुकम्मल हो जाए ये ज़रूरी नहीं 

थको मत कि उजाड़ने हैं तुम्हें कई ख़्वाब अभी…थको मत कि उजाड़ने हैं तुम्हें कई ख़्वाब अभी

इस वीराने पे कोई रोए, ये ज़रूरी नहीं 

अरमाँ तनहा हैं साहिल पर, वक़्त का दरिया बहे  जाता है; अरमाँ तनहा हैं साहिल पर, वक़्त का दरिया बहे  जाता है, 

तैरना हर कश्ती की तक़दीर नहीं; डूबते सपनों की शिद्दत कुछ कम थी, ये ज़रूरी नहीं  

दुनिया के बाज़ार दरखिशां हैं बहुत, सब बिकता है यहाँ;

दुनिया के बाज़ार दरखिशां हैं बहुत, सब बिकता है यहाँ, आसामियों का ताँता है, देखिए जहां तहाँ 

जज़्बातों की भी दुकान लगी है अंधेरे कोने में, 

जज़्बातों की भी दुकान लगी है अंधेरे कोने में, कोई ख़रीदार दिखता नहीं वहाँ

क्या मोल है यादों के इन पुलिंदों का, क्या मोल है यादों के इन पुलिंदों का

जो पहचान पाए, वो ख़रीदार ही कहाँ 

कौड़ियों में ले जाएगा कोई इनको, कौड़ियों में ले जाएगा कोई इनको

किसी दीवाने का फ़साना समझ के खिलखिलाएगा फिर वो

हर जज़्बात की क़ीमत अदा हो ये ज़रूरी नहीं, की अपने पहचानें तुम्हें, ये ज़रूरी नहीं 

गूँगे ज़ख्मों को सुन पाएँ, ये ज़रूरी नहीं

Published by Gaurav

And one day, it flowed, and rescued me!

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