
जन्नत देखूँगा ये सोच के घर से निकला था; नयी मोहब्बत ढूँढूँगा ये सोच के घर से निकला था
जन्नत देखूँगा ये सोच के घर से निकला था; नयी मोहब्बत ढूँढूँगा ये सोच के घर से निकला था
तुझे भूल जाऊँगा; बेवफ़ा हो जाऊँगा
पर ये तेरी ही मीठी साज़िश है; हाँ, ये तेरी ही मीठी साज़िश है
की राहें बदल गयीं; मोड़ मुड़ गये और दर पे तेरे हम फिर आ गए
अब, दिल को सुकून तो मेरे भी है; अब, दिल को सुकून तो मेरे भी है;
सच है मोहब्बत तुझसे मुझे अब भी है