यादगार पल

सुन के तुम्हें आज एक बोझिल अहसास हुआ, सुन के तुम्हें आज एक बोझिल अहसास हुआ, एक उम्र के ज़ाया होने का मलाल हुआ

सुन के तुम्हें आज एक बोझिल अहसास हुआ, एक उम्र के ज़ाया होने का मलाल हुआ

पहचान तो अपनी बरसों की है, पहचाना तुम्हें मैंने आज ही है

पल कोई याद रहे, ऐसा वक़्त गुज़ारा नहीं मैंने, नींद में मुस्कुराहट ले आए ऐसे सपने सजाए नहीं मैंने

पल कोई याद रहे, ऐसा वक़्त गुज़ारा नहीं मैंने, नींद में मुस्कुराहट ले आए ऐसे सपने सजाए नहीं मैंने

ये एहसास नया है, बोझिल है पर यादगार है, ये एहसास नया है, बोझिल है पर यादगार है

नींद में मुस्कुरा दूँ, ऐसा पल आज दिला दिया है तुमने,

तुम्हें आज पहचान लिया है मैंने, तुम्हें आज पहचान लिया है मैंने

Published by Gaurav

And one day, it flowed, and rescued me!

2 thoughts on “यादगार पल

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