विश्व तीर्थ

क्यूँ कर जाऊँ मैं काशी द्वारका हरिद्वार , क्यूँ करूँ तीर्थ मैं जीवन में बस एक बार

क्यूँ कर जाऊँ मैं काशी द्वारका हरिद्वार , क्यूँ करूँ तीर्थ मैं जीवन में बस एक बार

विश्वास भक्ति करुणा की नित्य है पुकार; विश्वास भक्ति करुणा की नित्य है पुकार, नित्य ही कैसे तीर्थ हो आऊं और करूँ अपना उद्धार

उठो देखो प्रकाशमय हो रहा है फिर संसार ; उठो देखो प्रकाशमय हो रहा है फिर संसार, तेजोमय सूर्य बिखेर रहा है आशा की किरणें हज़ार

समस्त जीव कर रहे सूर्य तीर्थ को स्वागत नमस्कार

उठो देखो प्रकाशमय हो रहा है फिर संसार, काशी द्वारका हरिद्वार भी अर्पण कर रहे सूर्य तीर्थ को अपना परोपकार

सूर्य विश्व तीर्थ है, ब्रह्मांड का जीवन प्रतीक है; सूर्य विश्व तीर्थ है, ब्रह्मांड का जीवन प्रतीक है

स्थिर गम्भीर अब चित् है, स्थिर गम्भीर अब चित् है

सूर्य ही जीवन तीर्थ है

Published by Gaurav

And one day, it flowed, and rescued me!

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