दिल का पुल

एक खाई है जो हम दोनों ने आज बनाई है, एक खाई है जो हम दोनों ने आज बनाई है; नफ़रत की कुदाल से दूरी और बढ़ाई है

एक खाई है जो हम दोनों ने आज बनाई है, नफ़रत की कुदाल से दूरी और बढ़ाई है

ग़िले यूँ तो बहुत हैं, हर गहरे ख़्वाब के क़ातिल हैं; ग़िले यूँ तो बहुत हैं, हर गहरे ख़्वाब के क़ातिल हैं

दिल फ़िर भी दुखः रहा है तुम्हारे लिये, गहरे ख़्वाब में एक हसीन याद के लिए। दिल फ़िर भी दुखः रहा है तुम्हारे लिये, गहरे ख़्वाब में एक हसीन याद के लिए

एक खाई है जो जज़्बात ने बनाई है, एक पुल है जो दिल ने बना दिया है

कल ख़्वाब में वो पुल पार किया हम दोनों ने, उस खाई को सदा के लिए भुला दिया हम दोनों ने

आज ये ख़्वाब हक़ीक़त बन जाए, दुआ बनकर हम पर बरस जाये; आज ये ख़्वाब हक़ीक़त बन जाए , दुआ बनकर हम पर बरस जाये

हर ग़िले की खाई को सदा के लिए भर जाये, दिल के इस अनदेखे पुल को ख़ुशनुमा यादों से सरोबार कर जाये

Published by Gaurav

And one day, it flowed, and rescued me!

7 thoughts on “दिल का पुल

  1. बहुत ही सुंदर कविता लिखी है आपने। मेरा सुझाव है कि आप अपनी कविता को अपनी आवाज देकर एक पॉडकास्ट शुरू कीजिए। एक सुंदर कविता हो या कोई सुंदर गीत उसको गुनगुना ना बहुत जरूरी है। बिना गुनगुनाए मैं कविता और गीत कुछ अधूरे से लगते हैं। आपकी इस सुंदर कविता को आवाज मिल जाए तो क्या बात है।

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    1. आपका बहुत शुक्रिया। podcast के बारे में में ज़रूर सोचूँगा।

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