
याद हैं मुझे सुकून के ये धीमे पल, तसव्वुर में हो जाये जैसे एक हसीन ख़्वाब शामिल
थके ज़हन पर मरहम सा बहता एक सर्द सफ़ेद कोहरा, और याद आ जाये बीती जवानी का एक बज़्म ए यारां
ॐ अल्लाह हू जब गूंजें एक साथ… ॐ अल्लाह हू जब गूंजें एक साथ, और पुरसुकूँ सजदे में आँख भर आये ख़ुद हर बार
वो रेल की खिड़की से दूर दिखता छोटा सा गाँव, गुज़रती नज़र में ही बुन लेना एक हसीन पड़ाव
वो बादशाह की मोहब्बत का निशाँ…वो ख़ुदाई नूर का निगहबाँ, वो बादशाह की मोहब्बत का निशाँ…वो ख़ुदाई नूर का निगहबाँ
शफ़्फ़ाक पत्थर में धड़कती एक रूहानी दास्ताँ, चाँद रात का फ़रिश्ता, ख़्वाब में भी कर देता मुझे बेज़ुबाँ
संजोई है अब तक बरसते अब्र की वो सौंधी ख़ुशबू, भीगे दरख़्त से बिखरती गीली हवा से भी हुआ था मैं रुबरू
याद हैं मुझे सुकून के ये धीमे पल…मेरे अपने हैं ये यादगार पल, याद हैं मुझे सुकून के ये धीमे पल…मेरे अपने हैं ये यादगार पल
ढूँड लेता हूँ ख़ुद को इनमें, खो भी जाता हूँ इनमें, हक़ीक़त की जद्दो जहद को भुला आता हूँ इनमें
एक नयी याद जोड़ने का वादा कर आता हूँ मैं; यूँ हीं फिर ज़िंदा हो जाता हूँ मैं…फिर ज़िंदा हो जाता हूँ मैं
Awwww……… incredible 😍😍
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Thanks for all the likes and comments. Much appreciated!
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its so nice
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Thank you!
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