एक आग

एक आग है भभकती धधकती, एक आग है भभकती धधकती

ज़हन ज़ुबान ज़हानत को निगलती बेरंग सी अनदेखी सी, ज़हन ज़ुबान ज़हानत को निगलती बेरंग सी अनदेखी सी

नफ़रत के रेगिस्तान में सरफ़रोशी का सरब दिखाती, केसरिया और हरे को सफेदा अमन भुलवाती

बुझाने वालों को ग़द्दार बताती

एक आग है भभकती धधकती, एक आग है भभकती धधकती

Published by Gaurav

And one day, it flowed, and rescued me!

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